Wednesday, December 31, 2008

नये साल में पुरानापन मुबारक हो....

लो एक और नया साल आ गया है। लोग बडे़ जोश से नए साल के स्वागत में पलकें बिछाए बैठे हैं। वो देर रात पर नए साल को सेलिबे्रट करेंगे। नए साल की एक-दूसरे को शुभकामनाएं देंगे। यानी थोड़ी देर के लिए विश्व का मंजर ही बदल जाएगा। साल बदल गया, लेकिन क्या साल बदलने के साथ हम भी बदले। नहीं, हम तो वो ही हैं जो पहले थे। नए साल से क्या बदलता है, वो ही आसमान, वो ही दिन-रात, वो ही रिश्तों के जाल, वो ही खाने पीने का सवाल और दुनिया में चारों तरफ बढ़ता हुए आतंक के बढ़ते हुए धमाके, फैलते हुए गमों का सिलसिला.... बढ़ती हुई भूख, बढ़ती हुई महंगाई, बढ़ती हुईं हत्याएं, बढ़ती हुई दौलत, बढ़ती हुई खून रेजी, बढ़ती, बढ़ती हुईं बीमारियां, बढ़ते हुए आमबात... और इन सब पर बढ़ते हुए, छाये हुए, काले नाग की तरह फन फैलाए हुए, हर वक्त मसरूफ अमल हमारे देश के कर्णधार...। साल जरूर बदल गया है लेकिन दुख वो ही पुराना है। नए वादे, पहले कदम की नाकाम कोशिशें... झूठे वादे, तसल्ली के खूबसूरत जाल, खुद फरेबी, सकून के बहाने, एक दूसरे को ख्वाब दिखाने के बहलावे... वो ही इंसान और वो ही इंसान की बड़ी-बड़ी बातें, और बहुत छोटे सुस्त कदम। अंधेरे में अंदाजू पे चलते हुए, सहमे हुए, डरे हुए, लरजते हुए अंधे कदम... किधर को जाएं, किस लिए जाएं, कैसे जाएं? इन सवालों में उलझते हुए, भटके हुए इंसान... बढ़ते हुए सालों के सुकड़ते हुए इंसान...पुराने विचारों से नये जमाने में जीता हुए इंसान....नये साल का नयापन किधर है? नये सुबह का चमकता सूरज किस जमीन पे रह गया है? नए साल की पहली सुबह में नए चिराग कहां हैं? वो उजली हुई नई दुनिया कब बेनकाब होगी जो नये उजाले में अंधेरा फैला कर रही है? नये साल का नया सूरज उन लोगों की जिंदगी में कब उजाला लेकर आएगा जो अंधेरे में जीने को मजबूर हैं। नया साल जरूर है लेकिन वो ही पुराना थका हुआ मेरा इंतजार कब खत्म होगा?नए साल की वो ही पुरानी उम्मीदें... सांस लेने के वो ही पुराने सहारे.. मेरे साथियो नए साल की नई तारीख में हम सब को हमारा वो ही पुरानापन मुबारक हो...

10 comments:

  1. वाह जी, अच्छा नाम रखा है ब्लॉग का।
    जै रामजी की!

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  2. हिन्दी के चिठ्ठा विश्व में आपका हार्दिक स्वागत है, मेरी समस्त शुभकामनायें स्वीकार करें… एक अर्ज है कि कृपया वर्ड वेरिफ़िकेशन हटा दें ताकि टिप्पणी करने में कोई बाधा न हो… धन्यवाद

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  3. निराशा के बादल छाँटने के लिए नये साल की धूप को एक बहाना मान कर इसका स्वागत कीजिए। बाकी बातें तो अपनी जगह बनी ही रहेंगी।

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  4. लिखते रहें खूब लिखें। आपको नए वर्ष की शुभकामनाएं।

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  5. Ummedon ke sath nai shuruaat ka hi pratik hai naya saal. Swagat.

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  6. नववर्ष की शुभ कामनाओं के साथ चिट्ठाजगत में आपका स्वागत है .
    धन्यवाद ..............

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  7. नववर्ष् की शुभकामनाएं
    भावों की अभिव्यक्ति मन को सुकुन पहुंचाती है।
    लिखते रहि‌ए लिखने वालों की मंज़िल यही है ।
    कविता,गज़ल और शेर के लि‌ए मेरे ब्लोग पर स्वागत है ।
    मेरे द्वारा संपादित पत्रिका देखें
    www.zindagilive08.blogspot.com
    आर्ट के लि‌ए देखें
    www.chitrasansar.blogspot.com

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