याद है वो जब हमें मिली थी
फूल जैसी वो खिली थी
होश मेरे उड़ गए जब
उससे मेरी नजर मिली थी।
उसे देख में बल्लियों उछला
उसे पाने को जी मचला।
चांदनी सा चेहरा उसका
पता नहीं है नाम।
आंखें में मस्ती भरी थी,
होंठों पर हंसी भरी थी।
तन कोमल, मन चंचल उसका
उमर थी अठरा साल।
जीवन में वो रस भरी है
सादगी की वो परी है
साथ निभाने को तैयार
हमको उससे प्यार।
उसने मेरे दिल को जीता
उसका दिल है साफ
जब से वह मन मंदिर में
आईवह तो है मेरी परछाई
मेरे सुख दुख बांटा करती
जैसी छाया करती।
सुहृदय और शीतल मन है
सेवा में तत्पर वह तन है
देख दुखी मन वह मेरा
मुझ पर देती जान
चांदनी का चेहरा उसका
पता नहीं है नाम।
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