Sunday, February 8, 2009

...दिल तो उछालिए!


14 फरवरी, लव, प्यार और दिल वालों की दुनिया का एक दिन। दो प्रेमियों के मिलन का एक दिन। एक ऐसा दिन जिसका दिलवालों को बेसब्री से इंतजार रहता है। वैसे प्यार करने का कोई दिन नहीं होता है। और ना ही प्यार करने का कोई समय है। वैसे प्यार करने वालों ने ऐसा कहा है कि - प्यार किया नहीं जाता हो जाता है। फिर ये प्यार जब चाहे हो सकता है इसके लिए कोई दिन निश्चित नहीं हो सकता। फिर भी दिलवालों की दुनिया ने इस प्यार को एक दिन में संकुचित कर दिया है और इसके लिए 14 फरवरी का दिन निश्चित किया है। इस दिन चारों तरफ का वातावरण प्रेममय हो जाता है। हवा में सरसराहट बढ़ जाती है। फूलों से हंसते रहने के लिए बोल दिया जाता है। कलियां से मुस्कराने को कह दिया जाता है। भौंरों से कह दिया जाता है कि कलियों पर मंडराएं लेकिन जरा तमीज से! तितलियों को आजादी है कि वे जिसके ऊपर चाहें उसके ऊपर मंडराएं। वे कहीं भी आ-जा सकती हैं। वैसे तो लैला-मजनूं इसकी तैयारियां कई दिनों पहले से करने लग जाते हैं। 14 फरवरी का दिन लगते ही शुरू होता है मोबाइल वेलेंटाइन डे। यानी प्रेमी प्रेमिकाओं के मोबाइलों की घंटियां बजने लग जाती हैं। और पहले विश करने की होड़ लग जाती है। दोपहर होते ही शुरू हो जाता है शिकवा शिकायत वेलेंटाइन डे। प्रेमिका अपनी प्रेमी से शिकायत करती है कि तुमने मुझे इतनी देर से विश किया जाओ मैं तुमसे बात नहीं करती। शाम होते-होते तो वेलेंटाइन डे का बुखार चरम सीमा पर चढ़ा होता है। और सारा देश क्लबों, मॉल्स, पार्टियों में थिरकने लगता है। एक तरफ जहां लोग वेलेंटाइन डे मनाने के लिये फुदक रहे हैं वहीं दूसरी तरफ संस्कृति के रक्षक वेलेंटाइन डे विरोध दिवस मना रहे हैं और वे लैला-मजनूं के बीच दीवार बन कर खडे़ हुए हैं। लेकिन लैला-मंजनू उस दिवार को फांद कर चुपके से कहीं दूर जाकर झाडि़यों में प्रेम क्रीड़ा रचा रहे हैं। और अपनी संस्कृति को आगे बढ़ाने में योगदान दे रहे हैं। मुझे तो यह वेलेंटाइन डे नजर नहीं आता। मेरी नजरों में तो यह उपहार दिवस है। बाजार दिवस है। मार्केट डे है। अगर आपने अपने प्रेमी को महंगा तोहफा नहीं दिया तो वह आपके दिल को लौटा कर किसी और का दिल खरीद लेगी। हम अपना प्रेम प्रदशिüत करने के लिए कार्डों मोहताज हो गए हैं! कार्ड नहीं तो प्रेम नहीं। ग्रीटिंग कार्ड वह सुरंग हो गयी है जिससे होकर ही दिल के किले पर फतह हासिल हो सकती है। इधर भी वेलेंटाइन डे मनाया जा रहा है। अशिक्षा, बेरोजगारी के गले मिलकर उसे मुबारकबाद दे रही है, धार्मिक कट्टरता, सांप्रदायिकता के गले मिल रही है, घपले-घोटाले, गोपनीयता से फूल की तरह खिलकर बाहर निकल रहे हैं। आतंकवाद देश से लैला-मजनूं की तरह प्यार कर रहा है। व्यक्तिगत स्वार्थ ने ईष्र्या पर डोरे डालने शुरू कर दिए हैं, प्रशासनिक निरंकुशता ने सूचना के अधिकार को दबोचकर नीचे पटक दिया और बेईमानी, भाई-भतीजावाद की आंखों में आंखें डाले गाना गा रही है -हम बने तुम बने एक दूजे के लिये। सब वेलेंटाइन डे मना रहे है। आपस में प्रेम प्रदर्शन कर रहे हैं। पूरा देश वेलेंटाइन-बुखार में जकड़ा है।
आप काहे गुमसुम बैठे हो। क्या आपको अब भी झिझक रहे हो रही है। चलिए वेलेंटाइन डे पर आप भी अपना दिल उछालिए, और गाना गाइए-
चलो दिलदार चलो, चांद के पार चलो, हम हैं तैयार चलो!