Saturday, April 25, 2009

पगलाए से वो जाने पहचाने लोग

प्रत्येक व्यक्ति के पास बुद्धि है जिसे वह विभिन्न कार्यों में अपनी दक्षता प्रदर्शित करने के लिए काम में लेता है। लेकिन कुछ लोग सामान्य लोगों से हटकर कुछ ऐसे अजीबो-गरीब कारनामे करते हैं कि वे सनकी या पागल से नजर आते हैं। ऐसी हरकतों एवं सनकों के शिकार राजा और शासकों के साथ प्रतिçष्ठत एवं प्रतिभावान लोग भी हैं जो अपनी सनक को पूरा करने के लिए किसी भी हद तक जाते हुए नजर आते हैं। पेश हैं ऐसे ही कुछ लोगों के किस्से-

खून की प्यासी रानी
हंगरी की एलिजाबेथ बथोरी का जन्म 7 अगस्त, 1560 ई. को हुआ। वह अत्यंत रूपवती थी और वह चाहती थी कि उसका रूप हमेशा वैसा ही बना रहे। अपने रूप को बरकरार रखने के लिए कुछ तांत्रिकों की बात मानकर पागलपन में उसने 600 से अधिक कुंवारी लड़कियों का रक्त पीया और उनके रक्त से स्नान भी किया। वह अत्यंत क्रूर और निर्दयी किस्म की औरत थी। उसकी शादी एक अधिकारी से हुई थी। पर धीरे-धीरे उसने अपनी पहुंच शाही दरबार तक बना ली थी। उसने दरबार में प्राप्त अपनी शक्तियों का खूब दुरुपयोग किया। लेकिन एक दिन उसके खून पीने का रहस्य खुल गया। उसको कठोर दंड दिया गया। उसे कैद कर रखा गया। और वहीं एक दिन 21 अगस्त, 1614 को उसकी मौत हो गयी।
आराम में खलल हराम
ऐसा ही एक सनकी मिस्र का एक धनकुबेर था। जिसका नाम अमीर बेसरी था। 1233 ई। में पैदा हुआ बेसरी अपनी अथाह और अपार धनदौलत को लेकन परेशान रहता था। कि आखिर वह कैसे इसका उपयोग कर पाएगा। उसने उसे खर्च करने का एक तरीका खोजा। तरीका यह था कि वह प्रतिदिन नए सोने एवं चांदी के प्याले से शराब की चुस्की लेता था। एक दिन पुराने प्याले को नौकरों में वितरित कर दिया जाता था। उसे मिस्र का बादशाह बनने का भी आमंत्रण मिला, परंतु उसने यह आमंत्रण ठुकरा दिया। उसने यह आमंत्रण इसलिए ठुकराया कि यह उसकी आरामतलब जिंदगी में खलल डालेगा। 60 साल की उम्र में 1293 ई। में मर गया।

क्रूरता में आनंद
५०० ईस्वी में हूण वंश के भारतीय राजा मिहिर की सनक भी अजीब थी। वह अपने पिता से भी अधिक नृशंस और क्रूरता के कार्यों से प्रसन्न होता था। दिल दहलाने वाली घटना को अंजाम देने के लिए वह हाथियों को पकड़कर पहाड़ों पर ले जाता था और पहाड़ की चोटियों से उन हाथियों को धक्का मारकर गिरा देता था। गिरते समय जब हाथियों की भयंकर चिंघाड़ निकलती तो वह अति प्रसन्न होता था। जब वह किसी राजा को हराकर उसके राज्य को जीत लेता था तो वह इस भयानक सनकी खेल को अवश्य अंजाम देता था।

पानी में बहाया खतों को
4 अगस्त, 1792 ई। को जन्मे वि यात अंग्रेज कवि शैली को विश्वयुद्ध की योजनाओं को अंजाम देने वालों से बहुत घृणा थी। वे उन्हें समझाने के लिए विस्तार से पत्र लिखते थे, परंतु उन्हें सही पते पर प्रेषित करने की बजाय इन्हें बोतल में बंद करके टे स नदी में यह सोच कर बहा देते थे कि ये पत्र स्वतज् ही किसी न किसी माध्यम से उन लोगों तक पहुंच जाएंगे। शेली ने ऐसा अनगिनत पत्रों के साथ किया। मात्र 30 वर्ष की छोटी आयु में महान शैली की मृत्यु हो गई।

वो भूलना
प्रसिद्ध फ्रांसीसी लेखक एमिले जोला भी इसके अछूते नहीं रहे। उनका जन्म 2 अप्रेल, 1840 ई. को हुआ था। उनके लेख मुरदे में जान फूंकने वाले होते थे। परंतु उनकी एक अजीबोगरीब आदत थी। वे जब भी किसी गली से गुजरते थे तो वे बिजली के खंभों को गिनते जाते थे। गिनते समय यदि कहीं वे भूल जाते तो वापस गली में आकर खंभों को दोबारा गिनना शुरू कर देते थे। एक बार उन्हें एक सेमिनार के प्रमुख अतिथि के रूप में आमंत्रित किया गया, परंतु वे जब एक गली से गुजर रहे थे तो आदतन बिजली के खंभों को गिनना शुरू कर दिया। इस बीच किसी ने उन्हें जल्दी आने के लिए टोका तो वे गिनना भूल गए और दोबारा गिनना शुरू किया। दोबारा गिन ही रहे थे कि सेमिनार में जाने के लिए उन्हें कुछ लोग लेने आ गए। वे फिर से भूल गए और पुनज् गिनना शुरू किया। इस प्रकार पांचवी बार में पूरे खंभों को गिन लेने के बाद ही वे सेमिनार में गए। उनकी इस सनक का अंत 29 सिंतबर, 1902 को उनकी मृत्यु के साथ ही हुआ।

गीदड़ प्रेम
प्रतापगढ़ का राजा भी अजीब सनकी थी। एक दिन उसने युद्ध में गाडरवाड़ा के राजा को हरा दिया। हारे हुए राजा ने किसी तरह भागकर अपनी जान बचाई। पराजित राजा को गीदड़ सिद्ध करने के लिए उसने एक गीदड़ को गाडरवाड़ा का राजा बना दिया। गीदड़ को राजा की पोशाक पहनाकर राजसिंहासन पर बैठा दिया। राज्य के सारे अधिकार उस गीदड़ को प्राप्त थे। गीदड़ जब भी हुंआ हुंआ चिल्लाता था तो वहां के सभी सदस्य खडे़ होकर उसे स मान देते थे। इस प्रकार 12 वर्ष तक सियार राजा की खूब चली। उसके मरने के बाद ही इस सनक का अंत हुआ।
सिंहासन प्रेम
अफ्रीका के गायना का राजा न्यूबिस बहुत हबशी था और उसे सिंहासन से अति लगाव था। और वह लगाव तब सनक में बदल गया, जब वह अपने लिए रोज नया सिंहासन बनवाता था। यह सिंहासन लकçड़यों का होता था। इस कार्य को करने के लिए 100 श्रमिकों का एक समूह उसके यहां बराबर कार्यरत था। बताया जाता है कि उसके सिंहासन की इस सनक से एक विशाल जंगल पूरी तरह से कट गया था, परंतु जब तक वह जिंदा रहा, अपने लिए रोज सिंहासन बनवाता रहा और अपनी इस सनक के लिए जाना जाता रहा।

दिशा भ्रम
प्रसिद्ध लेखक मोपासां का 5 अगस्त, 1850 ई. को जन्म हुआ। उनको हमेशा दिशा भ्रम होने की आदत थी। मोपासां अपने कमरे में दाएं कोने में लिखने के अ यस्त थे। वे हमेशा दाएं कोने में बैठकर ही लिखते थे, परंतु लिखते वक्त उनको हमेशा दिशा भ्रम हो जाता था और वे कमरे के दाएं कोने से बाएं कोने में जा बैठते। जब वे लिखना समाप्त कर लेते थे और स्वयं को जब दाएं की जगह बाएं कोने में बैठे पाते तो परेशान हो जाते। उनका यह दिशाभ्रम लिखते समय ही हो जाया करता था। 6 जुलाई, 1893 को उनका देहान्त हो गया था।

Monday, April 6, 2009

अभी ना करना प्यार


अभी तुम छोटी, प्यारी, कोमल
अभी ना करना प्यार
अभी तुम्हारा मृदुल बदन है
बच्चों का सा अल्हड़ मन है
परियों से भी कोमल तन है
अभी ना करना प्यार।

अभी तुम नादान परी हो
यौवन की दहलीज खड़ी हो
अभी नहीं तुम चल पाओगी
बीच डगर में रह जाओगी
अभी ना करना प्यार

सपनों की आदी ये पलकें
धूप सदृश्य सा खिलता यौवन
कैसे सह पाओगी तपन कठिन
कहीं छूट न जाएं यार
अभी ना करना प्यार


अभी तुम बढ़ो, आसमान को छूने
उन्मुक्त होकर विचरण कर लो
क्यों बांध रही सीमाओं में अपने को
फिर नहीं कर पाओगी पार
अभी ना करना प्यार

अभी तुम खेलो, कूदो, खाओ
चट्टानों से तुम टकराओ
पढ़-लिखकर आगे बढ़ जाओ
जग में कुछ बनकर दिखलाओ

इन आंखों में जो सपने हैं
अभी जो तुम्हारे अपने हैं
सभी छोड़ देंगे तुम्हारा हाथ
फिर नहीं देगा कोई साथ

अभी तुम छोटी, प्यारी, कोमल
अभी ना करना प्यार....