Wednesday, December 10, 2008

नेताओं का शौक

हमारे देश का हर आदमी कुछ न कुछ शौक जरूर पाले रखता है जैसे - किसी को खाने खाने का शौक होता है तो किसी को घूमने का शौक। किसी को अच्छे कपडे़ पहनने का शौक होता है तो किसी को म्यूजिक सुनने का शौक। किसी को पैसा कमाने का शौक है तो किसी को समाज सेवा का शौक। ऐसा ही एक शौक हमारे देश के नेताओं के सिर पर चढ़ा हुआ है। कुछ रा’यों में तो उन्होंने इस शौक को पूरा करने के लिए जोड़-तोड़ करना शुरू कर दिया है। और इधर से उधर भाग रहे हैं। इस शौक को पूरा करना वे अपना परम कर्तव्य मानते हैं। नेताओं के कुछ शौक जैसे सरकार बनाने का, रैली करने का, नारे लगवाने का। इन सब शब्दों के बिना नेता को अपना जीवन अधूरा सा लगने लगता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि हमारे देश के नेता का सबसे बड़ा शौक क्या है, देश को बचाना। जब भी उसे मौका मिलता है वह अपने देश को बचाने में जी जान से जुट जाता है।
हमारे राज्य में भी नेताओं को राज्य (कुर्सी पाने का) बचाने का सुनहरा मौका मिला हुआ है। और वे इस मौके को बिलकुल छोड़ना नहीं चाहते हैं। कुछ नेता तो युद्धाभ्यास मैं ही ढेर हो गए। कुछ को दुश्मनों ने ढेर कर दिया। और कुछ रही सही कसर जनता ने पूरी कर दी। कुछ नेता जो बचे हुए हैं वे अब राज्य को बचाने में पूरी बहादुरी से जुटे हुए हैं। और सेना को एकजुट करने में जी-जान से लगे हुए हैं। कुछ नेता घायल होकर भी पूरी देशभक्ति दिखाते हुए मैदान में बाजी मारने की सोच रहे हैं। कुछ नेता रा’य को बचाने दिल्ली की तरफ कूच कर गए हैं, अब वो वहां से आलाकमान से शक्ति का कैप्सूल लेकर राज्य को बचाएंगे। क्योंकि वे अपने रा’य में तो अपना राज ही नहीं बचा पा रहे हैं। हां, एक बात और जो नेता अपना राज नहीं बचा पाता, वह देश को बचाने में कभी पीछे नहीं रहता। क्योेंकि शायद देश को बचाना अपने राज से बचाना आसान होता है।
क्या कभी हमने इस बात पर गौर किया है कि ये नेता देश को बचाते किससे हैं? आतंकवाद से? लेकिन फिर भी देश में आतंकवाद चरम सीमा पर है और यह काम तो सेना या पुलिस का है। अगर ये देश को भ्रष्टाचार से बचाना चाहते हैं तो फिर ये राजनीति में आकर क्या करेंगे? समाज सेवा या जागृति लाकर देश बचाइये। अगर देश को जात-पांत, भाई-भतीजावाद से बचाते तो, नेता फिर अपने आप को बचाने के लिए अपनी जात और अपने खानदानांे को ढाल क्यों बनाते हैं। आखिर सवाल यह उठता है कि ये देश को किससे बचाना चाहते हैं? अरे भाई सीधी सी बात है वे देश को एक-दूसरे से बचाना चाहते हैं। यह नेता उस नेता से देश को बचाना चाहता है। इस नेता की नजर में उस नेता से देश को खतरा है। नेताओं की नजर में देश को खतरा नेताओं से ही है। जनता तो इस बात को पहले से ही जानती है लेकिन वह देश को बचाना नहीं चाहती। वरना आज देश बचाने वाले खुद ही नहीं बचते। इसलिए तो देश को बचाने के लिए या यूं कहिए कि अपनी कुर्सी को बचाने के लिए, सत्ता पाने के लिए दोनों एक—दूसरे से लड़ रहे हैं। हम बाहर के लोगों से नहीं लड़ते, आपस में लड़ते हैं। क्योंकि खतरा हमको अपनों से ही है यही तो हमारे देश की राजनीति है।

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