अभी तुम छोटी, प्यारी, कोमल
अभी ना करना प्यार
अभी ना करना प्यार
अभी तुम्हारा मृदुल बदन है
बच्चों का सा अल्हड़ मन है
परियों से भी कोमल तन है
अभी ना करना प्यार।
बच्चों का सा अल्हड़ मन है
परियों से भी कोमल तन है
अभी ना करना प्यार।
अभी तुम नादान परी हो
यौवन की दहलीज खड़ी हो
अभी नहीं तुम चल पाओगी
बीच डगर में रह जाओगी
अभी ना करना प्यार
यौवन की दहलीज खड़ी हो
अभी नहीं तुम चल पाओगी
बीच डगर में रह जाओगी
अभी ना करना प्यार
सपनों की आदी ये पलकें
धूप सदृश्य सा खिलता यौवन
कैसे सह पाओगी तपन कठिन
कहीं छूट न जाएं यार
अभी ना करना प्यार
अभी तुम बढ़ो, आसमान को छूने
उन्मुक्त होकर विचरण कर लो
क्यों बांध रही सीमाओं में अपने को
फिर नहीं कर पाओगी पार
अभी ना करना प्यार
अभी तुम खेलो, कूदो, खाओ
चट्टानों से तुम टकराओ
पढ़-लिखकर आगे बढ़ जाओ
जग में कुछ बनकर दिखलाओ
चट्टानों से तुम टकराओ
पढ़-लिखकर आगे बढ़ जाओ
जग में कुछ बनकर दिखलाओ
इन आंखों में जो सपने हैं
अभी जो तुम्हारे अपने हैं
सभी छोड़ देंगे तुम्हारा हाथ
फिर नहीं देगा कोई साथ
अभी जो तुम्हारे अपने हैं
सभी छोड़ देंगे तुम्हारा हाथ
फिर नहीं देगा कोई साथ
अभी तुम छोटी, प्यारी, कोमल
अभी ना करना प्यार....
सुंदर कविता
ReplyDeleteबधाई राममोहनजी